लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

20- घर मे लक्ष्मी आई है

अब परिवार के  सभी लोग जानते थे, कि श्रेया ने एक बेटी को जन्म दिया है। और उसके रोने की आवाज से सभी लोग कहने लगे, कि यह भी अपनी मां को पुकार रही है। श्रवन अपनी बेटी को प्यार करने लग गया था और श्रेया के होश में आने का बड़ी बसब्री से कर रहा था। जिसमें श्रेया होश में आए तो वह उसको यह बताएं। कि यह छोटी सी बेटी हमारी बगिया का फूल है। इसके लिए हमने इतनी परेशानियां झेली, इतने कष्ट सहे, इतने इंतजार के बाद यह हमें मिली है। श्रेया भी उसको देख कर खुश हो जाएगी। आखिर यह सपना हम दोनों ने मिलकर देखा था। लेकिन यह सबके लिए भी तो श्रेया के  होश में आने का इंतजार करना पड़ रहा था। कब श्रेया होश में आएगी। और श्रवन उसे हमारी बेटी से मिलाएगा।सभी बड़ी व्याकुलता से इंतजार कर रहे थे। उधर घर पर पूजा पाठ का क्रम जारी था। आज पूजा का छठवां दिन था। कल ही पूजा का सातवां और आखरी दिन होगा। रक्षा पूरी तन्मयता से पूजा पाठ करते हुए श्रेया के होश में आने का इंतजार कर रही है। फोन की घंटी बजती वैसे ही उसे लगता है कि शायद कोई अच्छी खबर आई होगी। परंतु फिर निराश हो जाती है, कल पूजा समाप्त होने के बाद रक्षा अस्पताल जाएगी। अभी तक श्रेया को होश नहीं आया है,  वह बहुत कमजोर हो चुकी है। डॉक्टर्स की पूरी कोशिश जारी है। पूजा में शाम की आरती का समय हो चुका था।

पंडित जी ने रक्षा को आरती की तैयारी के लिए आवाज लगाई। रक्षा में फोन रखा और कपड़े बदलने चली गई। रक्षा पूजा के लिए हाथ पैर धो कर कपड़े बदल कर बाहर आई। और आरती का थाल सजाया। आरती का थाल सजाते हुए। रक्षा आज मन ही मन में सोच रही थी।कि श्रेया भाभी पूजा के लिए थाली कितनी सुंदर सजाती थी। उसका मन पूजा आरती और श्रद्धा भक्ति में कितना  लगता था।  जब भी घर में पूजा होती भाभी सबसे अच्छी तरह और सबसे ज्यादा काम  करती थी। परंतु श्रेया के बिना आज सब सूना लग रहा था। वह मन ही मन सोच रही थी। कि वह जल्द ही भाभी की आरती उतारने के लिए फिर से आरती का थाल सजाएं यह सोचते हुए मन में आरती की तैयारी कर रही थी कि पंडित जी ने मंत्र बोलना शुरू किया। वह पूजा की थाली लेकर खड़ी हो गई और आरती करना शुरू कर दी।

मंत्रोच्चार के साथ आरती बड़े विधि विधान से संपन्न हुई। आरती संपन्न होने के बाद पंडित जी ने रक्षा को प्रसाद दिया। और उसी के साथ एक शुभ संकेत हुआ। पंडित जी ने कहा-कि तुम्हारी पूजा सफल होने वाली है। रक्षा ने कहा-  ऐसा क्या हुआ पंडित जी। जो आपको शुभ संकेत लग रहा है। पंडित जी ने कहा- तुम्हारी पूजा का शुभ संकेत यह पुष्प है, जो भगवान जी ने खुद गिरा कर यह संकेत दिया है। कि तुम्हारे लिए कुछ शुभ सूचना आने वाली है। रक्षा ऐसी बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश हुई और शुभ संकेत के लिए भगवान को शुक्रिया अदा किया। इस समय उसके मन में एक ही शुभ सूचना का इंतजार था जो कि श्रेया को होश में आने का और उसके ठीक हो जाने का। यही उसके लिए सबसे बड़ी खुशी की बात थी। रक्षा के मन में अब तो और भी उम्मीदें कायम हो रही थी। रक्षा ने फोन करके श्रवन को इस  शुभ संकेत के बारे में बताया। थोड़ी खुशी तो श्रवन को भी हुई। परंतु जब तक श्रेया को होश नहीं आ जाता तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता था।

तब तक नर्स ने आकर कहा कि एक यूनिट ब्लड और चाहिए अब श्रवन फिर से परेशानी में पड़ गया था। ब्लड के लिए उसने अपने कई दोस्तों को फोन किया। परंतु श्रवन को कहीं से भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। अब ब्लड का इंतजाम कहां से करें। श्रवन बहुत परेशान हो रहा था। और फिर से वही दोराहे पर खड़ा था कि आखिर ब्लड का इंतजाम कहां से करें। श्रवन गहरी सोच में डूबा हुआ था, कि पीछे से किसी ने इस श्रवन की पीठ पर थपकी दी। इस थपकी से श्रवन पीछे घुमा,तो सामने एक व्यक्ति खड़ा था। श्रवन उसे पहचान नहीं पाया था,परंतु  उसने श्रवन को पहचान लिया था। श्रवन ने कहा- जी कहिए, आप कौन हैं। श्रवन के ऐसा कहने पर वह व्यक्ति हंसने लगा और कहा- वाह ! यार तुमने मुझे नहीं पहचाना। श्रवन मैं तुम्हारा दोस्त दीपक। हम सब लोग साथ में पढ़ते थे। श्रवन को कुछ धुंधली सी यादें ताजा हुई, और उसने दीपक को गले से लगा लिया। दीपक ने श्रवन से पूछा- तुम यहां कैसे। दीपक ने श्रवन से पूछा ? तब श्रवन ने दीपक को अपनी दुख भारी कहानी सुनाई। श्रवन ने दीपक को बताया कि मेरी पत्नी श्रेया को डिलीवरी होने वाली थी।उससे पहले ही अचानक होली वाले दिन घर पर श्रेया की तबियत बिगड़ गई।उसके पेट में भयंकर दर्द शुरू हो गया। तुरंत ही मैंने तुम्हारी भाभी को अस्पताल पहुंचाया और वहां डाक्टरों द्वारा उसका आपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद बच्चे को निकाल लिया गया परंतु श्रेया को होश नहीं आया। कई दिन बाद भी श्रेया को होश नहीं आया। तो डॉक्टर ने जवाब दे दिया, कि वह अब श्रेया को नहीं बचा पाएंगे। तब मेरे सास-ससुर के कहने पर मैंने श्रेया को यहां सिफ्ट किया है। यहां के डॉक्टर्स ने  दोबारा ऑपरेशन किया है। और उम्मीद जताई है। कि श्रेया ठीक हो जाएगी। तभी अचानक डॉक्टर ने ब्कीलड की मांग की, इसीलिए मैं परेशान हूं। सभी दोस्तों को फोन कर चुका हूं। कहीं से कोई उम्मीद नहीं मिली।  मैं ब्लड का इंतजाम करने के लिए परेशान हूं। क्या करूं, कहां से लाऊं ब्लड। दीपक ने ब्लड ग्रुप पूछा- और ब्लड ग्रुप पता चलते ही दीपक खुशी से बोला-अरे यार परेशान क्यों हो। यह ब्लड ग्रुप तो मेरा ही है। चलो, मैं एक यूनिट ब्लड दे देता हूं। तुम्हारी समस्या का समाधान निकल आया। शायद भगवान ने मुझे इसीलिए यहां भेजा हो, इन सब बातों में श्रवन दीपक से पूछना ही भूल गया कि दीपक यहां कैसे आया।सबसे पहले दीपक में जाकर रक्तदान किया। वह रक्त श्रवन की पत्नी श्रेया के काम आ गया। उसके बाद श्रवन ने दीपक से पूछा कि वह यहां कैसे आया है।तो दीपक ने बताया......

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9 Comments

Mithi . S

23-Sep-2022 04:29 PM

Nice post

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shweta soni

23-Sep-2022 05:42 AM

Nice post

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Gunjan Kamal

22-Sep-2022 06:46 PM

बेहतरीन भाग

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